"गरीबों और वंचितों के बारे में कौन सोचता है?
उन्हें शिक्षा का प्रकाश नहीं मिल रहा। मैं तो उस व्यक्ति को महात्मा मानता हूँ, जो गरीबों
के लिए रोता है। ऐसा नहीं करने वाला तो दुरात्मा है। जब तक करोड़ों लोग भूखे और
वंचित रहेंगे, तब तक मैं हर उस आदमी को गद्दार मानूँगा, जिसने गरीबों की कीमत पर
शिक्षा तो हासिल की, लेकिन उनकी चिन्ता बिलकुल नहीं की।"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें