विवेकानंद की हम 150वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. वह
महज 39 वर्ष जीये. पर कई हजार वर्षों का काम कर गये. इस छोटी आयु में.
उनके जीवन को नजदीक से देखने-समझने पर लगता है कि परेशानियों, चुनौतियों, मुसीबतों के पहाड़ के बीच वह
पैदा हुए. पल-पल जीये. आजीवन इनसे ही घिरे रहे. फिर भी हैरत में डालनेवाले, स्तब्ध कर देनेवाले काम वह कर
गये. यकीन नहीं होता कि भारी मुसीबतों के बीच एक इंसान की इतनी उपलब्धि.
( साभार: http://prabhatkhabar.com/node/260223
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