स्वामी विवेकानन्द
हमारे सबसे बड़े प्रेरणास्रोत...
रविवार, 14 अप्रैल 2013
"शुद्ध बनना और दूसरों की भलाई करना ही सब उपासनाओं का सार है
। जो गरीबों, निर्बलों और पीड़ितों में शिव को देखता है, वही वास्तव में शिव का उपासक है। पर यदि वह केवल मूर्ति में ही शिव को देखता है, तो यह उसकी उपासना का आरम्भ मात्र है।"
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